corruption investigation news Vishkhop

chauthastambhup.com । परसामलिक ।

आज दिनाँक 29/10/2021 दिन शुक्रवार को ग्राम विषखोप में पूर्व प्रधान के पिछले कार्यकाल में हुए घोटालों की जांच करने महराजगंज से एक टीम पहुंची। जिसकी जांच सुबह 11 बजे से लेकर 3 बजे तक चली, लेकिन इसके बावजूद जांच टीम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई। वहीं जब पत्रकारों ने जांच के बारे में जानकारी लेनी चाही तो अधिकारी मीडिया के सवालों से बचते हुए भाग खड़े हुए।

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दरअसल ग्राम पंचायत विषखोप, विकास खण्ड नौतनवा, जनपद महराजगंज के वित्तीय वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-20 तक तत्कालीन ग्राम प्रधान चंद्रिका प्रसाद के कार्यावधि में शासकीय धनराशि का दुरुपयोग करने की अंतिम जांच हेतु जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी महराजगंज द्वारा अधोहस्ताक्षरी के साथ वित्तीय परामर्शदाता (कार्यालय जिला पंचायत महराजगंज) एवं सहायक अभियंता (ग्रामीण अभियंत्रण विभाग महराजगंज) को जाँच हेतु नामित किया गया था।

उक्त भ्रष्टाचार के जांच के लिए गठित टीम पुलिस बल के साथ आज समय करीब 11:00 बजे ग्राम विषखोप के प्राथमिक विद्यालय में पहुंची। जांच टीम ने घोटालों की जांच कराने वाले मनोज यादव, पूर्व प्रधान चंद्रिका प्रसाद व पूर्व सिकरेट्री के साथ स्कूल के कमरे में बैठकर काफी देर तक कागजों में कराए गए कार्यों की समीक्षा की। उसके बाद टीम कागजों में दर्ज कार्यों का गांव में घूम-घूमकर मुआयना करने लगी। इसी बीच पूर्व प्रधान व उसके कुछ समर्थक किसी बात को लेकर भड़क गए और भ्रष्टाचार की जांच कराने वाले मनोज यादव को मारने-पीटने की धमकी देने लगे।

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इस दौरान जांच टीम के साथ आये पुलिसकर्मियों ने बीच बचाव करते हुए मामले को शांत कराया। उक्त कहासुनी के बाद जांच टीम मौके से वापस विद्यालय पर चली आई। उक्त मामले में जब पत्रकारों ने जांच अधिकारी से सवाल पूछने की कोशिश की तो वे भड़क गए और मीडियाकर्मियों से उनका आइकार्ड मांगने लगे। बाद में मीडिया के सवालों का जवाब न दे पाने की स्थिति में जांच अधिकारी गांव से भाग खड़े हुए।

वहीं ग्राम विषखोप निवासी व घोटालों की शिकायत करने वाले मनोज यादव का कहना है कि अभी तक उक्त भ्रष्टाचार के मामले में महराजगंज जिला मुख्यालय से करीब छह बार जांच अधिकारियों की टीम गांव में आ चुकी है। लेकिन अब तक हुए जांच का कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। अब तो मुझे ऐसा प्रतीत होने लगा है कि जिला प्रशासन व जांच अधिकारी खुद उक्त घोटाले को उजागर ही नहीं करना चाहते हैं। अतः उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री से मेरा निवेदन है कि स्वयं मामले का संज्ञान लेकर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को उजागर कराएं।

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