fake caste certificate news

chauthastambhup.com । निचलौल ।

निचलौल तहसील क्षेत्र के लोहरौली और पिपरा काजी गांव से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। जहां एक व्यक्ति ने फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के सहारे प्रधानी हासिल की तो वहीं पांच अन्य लोगों ने गलत तरीके से जमीन का पट्टा करा लिया। उक्त प्रकरण में मूल आदिवासी जनजाति कल्याण संस्था से जुड़े सदस्यों की शिकायत पर जनपदीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने प्रधान समेत पांच व्यक्तियों के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने की संस्तुति की थी।

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मिली जानकारी के अनुसार, गुनेश्वर यादव नामक व्यक्ति ने निचलौल क्षेत्र के लोहरौली गांव में नवनिर्वाचित प्रधान नरेंद्र देव पर गलत तरीके से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनवा कर प्रधानी पद हासिल करने की शिकायत की थी। वहीं दूसरे प्रकरण में सिद्धार्थ गौतम नामक व्यक्ति द्वारा निचलौल क्षेत्र के ही पिपरा काजी गांव के कमलेश और उनके परिवार पर फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के सहारे प्रधानी व भूमि का पट्टा दिलाये जाने की शिकायत करते हुए जांच की मांग की गई थी।

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शिकायत के बाद जनपदस्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति को डीएम डा. उज्ज्वल कुमार ने पूरे मामले की जांच सौंपी थी। जिसमें बीते गुरुवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में अपर जिलाधिकारी कुंजबिहारी अग्रवाल, जिला समाज कल्याण अधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह और निचलौल के उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार की टीम ने जांच कर प्रधान समेत छह लोगों का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। इस फैसले से फर्जी अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र लगाकर पंचायत चुनाव जीतने वाले दोनों प्रधानों के प्रधानी पद पर खतरा मंडराने लगा है।

बता दें कि, हाल ही में बीते त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निचलौल ब्लाक के ग्रामसभा पिपरा काजी और लोहरौली अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुई थी। ग्रामीणों के शिकायत के मुताबिक ग्रामसभा लोहरौली से कमलेश और पिपरा काजी से नरेंद्र देव ने पंचायत चुनाव में तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से अपने मूल अभिलेखों में हेर-फेर कर अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनवा लिया था। दोनों इसी फर्जी जाति प्रमाण पत्र की मदद से ग्राम प्रधान का चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे थे।

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