कोरोना डेस्क।।

वाशिंगटन: छींकने और बातचीत के दौरान मुंह से निकलने वाले सूक्ष्म कणों को रोकने में नियमित मास्क की अपेक्षा वॉल्व लगे मास्क और शील्ड प्रभावी नहीं है। शोधकर्ताओं ने बताया कि वॉल्व वाले मास्क से कोरोना महामारी को खत्म करने की कोशिश को झटका लग सकता है।

यूएस के फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों ने फेस शील्ड और वॉल्व वाले मास्क पर एक परीक्षण किया। उन्होंने सूक्ष्म बूंदों के प्रसार को रोकने संबंधी प्रदर्शन के गुणात्मक दृश्यांकन का इस्तेमाल किया। शोधकर्ताओं ने कहा कि अगर इन मास्कों का नियमित इस्तेमाल करना बंद नहीं हुआ, तो महामारी को खत्म करने के प्रयासों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स नाम की पत्रिका में पब्लिश स्टडी के लिये वैज्ञानिकों ने लैब में लेजर प्रकाश परत का प्रयोग करते हुए प्रवाह दृश्यांकन को संयोजित किया, और आसुत जल एवं ग्लिसरीन के मिश्रण को कृत्रिम कफ (Phlegm) के रूप में उपयोग किया। उन्होंने एक पुतले के मुंह से सुक्ष्म बूंदों को छींकने की गति से भी निकलवाया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस नए अध्ययन से हमें यह पता चला कि फेस शील्ड छींक या खांसी के साथ आने वाली सूक्ष्म बूंदों के फ्लो को शुरुआती तौर पर रोकने में कामयाब होती है। लेकिन हवा में तैरती बूंदे बाहर निकल जाती हैं, और आसानी से शील्ड से आगे बढ़ जाती हैं। बाद में यह बूंदे सघनता कम होने के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में फैल जाती हैं।

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